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जनता बेहाल, नेता और प्रशासन खामोश—जिप उपाध्यक्ष आलोक कुमार सिंह की भी चुप्पी सवालों के घेरे मेPeople are in distress, leaders and administration are silent-Zilla Parishad Vice President Alok Kumar Singh's silence is also questionable

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जिप उपाध्यक्ष वा डी डी सी 


हुसैनाबाद (पलामू):

राज्य सरकार जहां बेरोजगारी को दूर करने के लिए लगातार प्रयासरत है, वहीं ज़मीनी स्तर पर कुछ अधिकारी अपनी उदासीनता और लापरवाही से इन प्रयासों को पलीता लगाने में जुटे हैं। इसका ताज़ा उदाहरण हुसैनाबाद के आंबेडकर चौक स्थित जिला परिषद की दुकानें – A-9 और A-10 हैं, जिन्हें 2022 के जुलाई माह में लाभुकों को आवंटित किया गया था।


दुकानें दीं, पर पहुंचने का रास्ता नहीं – दो साल से निर्माण कार्य सीढ़ी का शुरू

आवंटित दुकानें भवन के प्रथम तल पर स्थित हैं, लेकिन इन दुकानों तक जाने के लिए अब तक सीढ़ी का कार्य नहीं पूरा नहीं है। यह बात लाभुकों द्वारा आवंटन के समय ही उजागर की गई थी। तत्कालीन डीडीसी मेघा भारद्वाज ने मामले का संज्ञान लेकर 2023 के अंतिम महीनों में सीढ़ी निर्माण के लिए विभागीय आदेश दिया था, परंतु 2025 में भी निर्माण कार्य अधूरा है।


रोजगार देने की बजाय, लोगों को बेरोजगार बना रहा है सिस्टम

राज्य सरकार की यह योजना थी कि जिला परिषद की दुकानों का आवंटन बेरोजगार युवाओं और जरूरतमंदों को किया जाए, ताकि वे स्वरोजगार के माध्यम से आत्मनिर्भर बन सकें। लेकिन ज़मीनी सच्चाई ये है कि विभागीय लापरवाही के चलते न केवल व्यवसाय शुरू नहीं हो सका, बल्कि लाभुक मानसिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से परेशान हो रहे हैं।


उल्टा अब विभाग कर रहा है किराया वसूली की तैयारी, नियमों की उड़ रही धज्जियाँ

सबसे गंभीर बात यह है कि विभाग अब उन्हीं दुकानदारों को बकाया किराए की नोटिस भेज रहा है, जिन्होंने दुकान का उपयोग तक नहीं किया। जबकि नियमानुसार, जब तक आवंटित दुकान पूर्ण रूप से उपयोग योग्य न हो – यानी उसकी बुनियादी सुविधाएं पूरी न हों – तब तक किराया वसूली नहीं की जा सकती।


लाभुकों से आवंटन के समय एक वर्ष का किराया एडवांस में ले लिया गया था, लेकिन विभाग ने उस राशि को भी बकाया में जोड़ दिया है। 10% ब्याज सहित राशि जमा करने का अंतिम नोटिस भेजकर विभाग ने स्थिति और भी विकट बना दी है।


शिकायतों के बावजूद कार्रवाई नहीं, जनप्रतिनिधि भी मौन

लाभुकों ने कई बार लिखित रूप से वर्तमान डीडीसी सब्बीर अहमद, पलामू डीसी और जिला परिषद उपाध्यक्ष आलोक कुमार सिंह को भी स्थिति से अवगत कराया, पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। इससे लोगों में शासन-प्रशासन के प्रति गहरा आक्रोश है।


दुकान मिली पर रोजगार नहीं’, लाभुकों की पीड़ा छलकी

पीड़ित लाभुकों ने कहा, हमसे कहा गया था कि सरकार रोजगार देने जा रही है। लेकिन दो साल बाद भी दुकान में ताला लगा है, ऊपर जाने का रास्ता बना है वो भी निर्माण कार्य प्रगति पर है, छत की रेलिंग को मामूली एक कील के सहारे लगा कर छोड़ दिया गया है  और अब नोटिस भेजकर हमें मानसिक रूप से तोड़ा जा रहा है। ये रोजगार नहीं, ये तो बेरोजगारी को सौंप देने जैसा है।

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मामूली कील के सहारे रेलिंग का दृश्य


जनहित में मांग

लाभुकों ने सरकार से अपील की है कि जब तक दुकान उपयोग योग्य नहीं होती, दुकान में आने जाने के लिए सुरक्षित मार्ग का कार्य पूर्ण नहीं होता तब तक किराया वसूली रोकी जाए। साथ ही इस मामले में दोषी अधिकारियों की पहचान कर उन पर विभागीय कार्रवाई हो।

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