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हुसैनाबाद में वक्फ कानून के विरोध में ऐतिहासिक शांतिपूर्ण प्रदर्शन Palamu news today rbc

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ज्ञापन सौंपते हुए एजाज हुसैन साहब वा अन्य 


इमली के पेड़ तले से उठी जनआवाज़, राष्ट्रपति के नाम सौंपा गया ज्ञापन


रिपोर्ट – मसूद आलम हुसैनाबाद, पलामू

केंद्र सरकार द्वारा पारित किए गए नए वक्फ कानून के विरोध में सोमवार को हुसैनाबाद में एक ऐतिहासिक मौन शांतिपूर्ण जुलूस का आयोजन हुआ, जिसने सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर गूंज पैदा कर दी। यह विरोध सभा हुसैनाबाद की लंबी गली में स्थित शेख़ मुजाहिद हुसैनाबादी के आवास के समीप पुराने इमली के पेड़ के नीचे से शुरू हुई — एक ऐसा स्थल जो वर्षों से जनआंदोलनों की चुप लेकिन सशक्त गवाह रहा है।


तिलावत से शुरुआत, तख्तियों के साथ शांतिपूर्ण मार्च

कार्यक्रम की शुरुआत पवित्र कुरान की तिलावत से हुई, जिसके बाद उपस्थित लोगों से शांतिपूर्वक मौन जुलूस में सम्मिलित होने की अपील की गई। हजारों की संख्या में लोग कतारबद्ध होकर हाथों में “वक्फ कानून वापस लो” जैसे स्लोगनों वाली तख्तियां लिए अनुमंडल कार्यालय की ओर रवाना हुए।


यह प्रदर्शन अपने आप में अनुशासन और एकता का प्रतीक था। आयोजकों द्वारा बनाए गए 11 सदस्यीय सरपरस्तों के दल के नेतृत्व में यह जुलूस बिना किसी अवरोध के मुख्य मार्गों से होता हुआ अनुमंडल कार्यालय तक पहुँचा।

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जुलूस की झलक 


राजनीतिक और सामाजिक प्रतिनिधियों की सक्रिय भागीदारी

इस विरोध में न केवल राजनीतिक दलों के नेता बल्कि समाज के विभिन्न वर्गों से जुड़े ज़िम्मेदार नागरिकों ने भी बढ़-चढ़ कर भाग लिया। प्रमुख उपस्थित लोगों में हुसैनाबाद विधायक सह राजद प्रदेश अध्यक्ष संजय कुमार सिंह यादव, कांग्रेस के पूर्व प्रदेश महासचिव सत्यनारायण सिंह, सामाजिक कार्यकर्ता गुलाम मोहम्मद, अमीन अली खान, धनंजय तिवारी, युवा नेता शारीक अहमद, मोबीन अहमद, शिया समुदाय के इमाम ए जुमा मौलाना सैयद शजीर रिजवी, गुप्तेश्वर पांडे,असगर अली, नसीर अहमद, मोहसिन अहमद, तकी रिज़वी, अबुंसर सिद्दीकी, मसरूर अहमद, ज़ुबैर अंसारी, सुहेल आलम, सैयद फिरोज, नगर पंचायत के पूर्व अध्यक्ष शशि कुमार, बसपा नेता अजय भारती, व राजद नेता रमाशंकर चौधरी शामिल थे।

युवा नेता शारीक अहमद 


इन सभी ने एक स्वर में कानून को संविधान विरोधी बताते हुए इसकी तत्काल वापसी की मांग की। वक्ताओं ने कहा कि यह कानून न केवल वक्फ संपत्तियों के अधिकारों पर आघात है, बल्कि धार्मिक और सामाजिक संरचना को भी प्रभावित करता है।


राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया

अनुमंडल कार्यालय पहुँचने के बाद सरपरस्तों की टीम ने अनुमंडल पदाधिकारी गौरांग महतो को राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में वक्फ कानून को वापस लेने की माँग के साथ-साथ यह भी अपील की गई कि अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए।


विधायक का बयान: "यह सिर्फ क़ानूनी नहीं, सामाजिक संघर्ष है"

विधायक संजय कुमार सिंह यादव ने मीडिया से बातचीत में कहा, "यह कानून संविधान की भावना के विरुद्ध है। केंद्र सरकार एक वर्ग विशेष को लक्षित कर रही है। इंडिया गठबंधन इस कानून का हर स्तर पर विरोध करेगा – सड़क से संसद तक।"


उन्होंने यह भी कहा कि सरकार द्वारा लोगों को भ्रमित करने का प्रयास असफल होगा और देश की गंगा-जमुनी तहज़ीब को किसी कीमत पर टूटने नहीं दिया जाएगा।

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विरोध जताते लोग


प्रशासन रहा सतर्क, कानून व्यवस्था बनी रही

विरोध प्रदर्शन को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। प्रशिक्षु आईपीएस सह एसडीपीओ एस. मोहम्मद याकूब, अंचल पदाधिकारी पंकज कुमार, थाना प्रभारी सोनू कुमार चौधरी के नेतृत्व में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात रहा। पूरे कार्यक्रम के दौरान कहीं कोई अव्यवस्था नहीं हुई और जुलूस शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न हुआ।


प्रदर्शनकारियों की स्पष्ट मांग

प्रदर्शन में शामिल सामाजिक कार्यकर्ता अबू नसर सिद्दीकी, एजाज हुसैन उर्फ छेदी, अब्बास अंसारी, मसरूर अहमद व गयासुद्दीन सिद्दीकी सहित अन्य लोगों ने कहा कि यह उनका संवैधानिक अधिकार है कि वे किसी भी असंवैधानिक कानून का विरोध करें। उन्होंने दोहराया कि यह आंदोलन पूरी तरह शांतिपूर्ण रहेगा, लेकिन जब तक कानून वापस नहीं लिया जाता, विरोध जारी रहेगा।

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