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महुडंड पंचायत के विद्यालयों में रंग-रोगन कार्य में भारी लापरवाही, विकास मद की राशि पर उठे सवाल palamu news today rbc channel

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पलामू न्यूज 


संवाददाता – मसूद आलम हुसैनाबाद (पलामू):

हुसैनाबाद प्रखंड के महुडंड पंचायत अंतर्गत प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों में विद्यालय विकास मद के तहत जारी की गई राशि का उपयोग आज तक नहीं हो पाया है। विद्यालयों की वर्तमान स्थिति यह दर्शा रही है कि सरकार और शिक्षा विभाग द्वारा विद्यालयों को बेहतर करने के उद्देश्य से दी गई राशि या तो इस्तेमाल नहीं हुई है या उसका दुरुपयोग हुआ है। ऐसे में पूरे मामले में फर्जीवाड़े की आशंका जताई जा रही है, जिसे लेकर अब स्थानीय जनता में गहरा आक्रोश देखा जा रहा है।

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स्कूल की छवि 


चार माह पूर्व भेजी गई थी राशि, फिर भी कार्य अधूरा

दिसंबर 2024 में ही शिक्षा विभाग द्वारा सभी विद्यालयों को विकास मद की राशि उपलब्ध कराई गई थी। इस राशि का उद्देश्य था – विद्यालय भवनों की मरम्मत, रंग-रोगन कार्य, शैक्षणिक सामग्री की खरीद और स्कूल की बुनियादी संरचना को बेहतर बनाना।

लेकिन चार महीने बीतने के बाद भी महुडंड पंचायत के लगभग सभी प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में न तो रंग-रोगन हुआ है, न ही कोई अन्य सुधार कार्य किया गया है।


सिर्फ खानापूर्ति हुई है रंग-रोगन के नाम पर

महुडंड पंचायत का "स्तरोन्नत उच्च विद्यालय महुडंड" इसका एक प्रमुख उदाहरण है, जहां रंग-रोगन कार्य सिर्फ कागजों में पूरा किया गया है। विद्यालय भवन के कुछ हिस्सों में हल्का रंग लगाकर खानापूर्ति की गई, जिससे यह प्रतीत होता है कि सिर्फ रिपोर्टिंग के लिए कार्य कराया गया है।

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विद्यालय भवन


विद्यालय विकास मद: क्या है व्यवस्था और निर्देश

विद्यालय विकास मद के अंतर्गत प्रत्येक स्कूल को उनके छात्रसंख्या के आधार पर अलग-अलग राशि आवंटित की जाती है।


प्राथमिक विद्यालयों को ₹25,000 से ₹30,000


मध्य विद्यालयों को ₹50,000 से ₹75,000


उच्च विद्यालयों को ₹75,000 से ₹1,00,000 तक की राशि


यह राशि स्कूल भवन की मरम्मत, रंगाई-पुताई, फर्नीचर सुधार, साफ-सफाई, शिक्षण सामग्री आदि पर खर्च की जानी होती है।


दिसंबर में ही हुसैनाबाद के तत्कालीन प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी रामनरेश राम ने एक आदेश पत्र जारी किया था, जिसमें 20 दिसंबर 2024 तक सभी विद्यालयों को इस राशि को उपयोग करने का सख्त निर्देश दिया गया था। आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया था कि राशि के उपयोग की सूचना विद्यालय प्रबंधन समिति (SMC) को लिखित रूप से देनी होगी और बैठक पंजी में उसका उल्लेख करना अनिवार्य होगा।


लापरवाही पर वेतन रोकने की चेतावनी

प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी द्वारा जारी पत्र में यह भी चेतावनी दी गई थी कि जो प्रधानाध्यापक इस राशि को लेकर लापरवाही बरतेंगे या अपने विवेक से उपयोग करेंगे, उनके वेतन/मानदेय पर रोक लगाई जा सकती है। बावजूद इसके अधिकांश स्कूलों ने न तो राशि खर्च की और न ही SMC को कोई जानकारी दी।


फर्जीवाड़े की आशंका और बढ़ता जनाक्रोश

स्थानीय लोगों का कहना है कि जब राशि भेज दी गई थी और स्पष्ट निर्देश भी जारी हुआ था, तो अब तक कार्य क्यों नहीं हुआ? इस देरी और लापरवाही से स्पष्ट संकेत मिलते हैं कि या तो राशि का उपयोग निजी हित में किया गया है या फिर यह किसी बड़ी गड़बड़ी की तैयारी है।


लोगों ने की जांच की मांग

इस पूरे मामले को लेकर महुडंड पंचायत सहित आसपास के ग्रामीणों में भारी नाराजगी है। उन्होंने हुसैनाबाद एसडीओ और पलामू के जिला शिक्षा पदाधिकारी (DSE) से मांग की है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए और दोषी प्रधानाध्यापकों के विरुद्ध कड़ी विभागीय कार्रवाई की जाए।


निष्कर्ष

यह मामला केवल वित्तीय लापरवाही नहीं है, बल्कि शिक्षा व्यवस्था पर भी एक गंभीर प्रश्नचिह्न खड़ा करता है। जब सरकारी योजनाएं और बजट जमीनी स्तर तक पहुंचने के बावजूद सही तरीके से लागू नहीं होते, तो उसका खामियाजा उन बच्चों को भुगतना पड़ता है, जिनके लिए ये सुविधाएं लाई जाती हैं। अब देखना यह है कि प्रशासन इस मामले को कितनी गंभीरता से लेता है और क्या दोषियों पर कोई कार्रवाई होती है या नहीं।

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