हुसैनाबाद में वक्फ बिल के विरोध में 21 अप्रैल को प्रस्तावित जुलूस पर उठा विवाद, आयोजन स्थल और आयोजकों की भूमिका पर सवाल hussainabad news rbc today
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शेख़ मुजाहिद हुसैनाबादी |
हुसैनाबाद में 21अप्रैल को वक्फ संशोधन विधेयक के विरोध में एक बड़े विरोध मार्च का आयोजन प्रस्तावित है। लेकिन इस आयोजन की शुरुआत को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। जुलूस की शुरुआत उस स्थान से की जानी है, जिसकी जमीन के स्वामी को न तो इसकी पूर्व सूचना दी गई है और न ही उनसे कोई अनुमति ली गई है। इससे स्थानीय स्तर पर असंतोष का माहौल बन रहा है।
शेख मुजाहिद हुसैनाबादी ने जताया कड़ा ऐतराज़
इस मुद्दे पर प्रतिक्रिया देते हुए पत्रकार वा शायर शेख मुजाहिद हुसैनाबादी ने प्रशासन से तीखे सवाल पूछे हैं। उन्होंने कहा, "क्या बिना भूमि स्वामी की सहमति के किसी सार्वजनिक विरोध प्रदर्शन की अनुमति दी जा सकती है? अगर इस तरह की कानूनी प्रक्रिया और सामाजिक सहमति को दरकिनार किया गया, तो इससे क्षेत्र में अनावश्यक तनाव और भ्रम की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।" इसका जिम्मेदार कौन होगा?
उन्होंने प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप कर जांच करने की अपील की है, साथ ही यह सुनिश्चित करने की मांग की कि किसी की व्यक्तिगत संपत्ति या अधिकार का उल्लंघन न हो।
वक्फ भूमि से आयोजन की मांग
शेख़ मुजाहिद हुसैनाबादी ने सुझाव दिया कि इस तरह के आयोजन यदि वक्फ वासला बेगम की भूमि – इमामबाड़ा परिसर – से किए जाएं तो यह अधिक उपयुक्त होगा। उन्होंने कहा कि "यदि विरोध प्रदर्शन उस स्थान से शुरू हो जहां वक्फ द्वारा भवन निर्माण किया गया है, तो वहां मौजूद ढांचे और छाया से लोगों को राहत मिलेगी। खासतौर पर कड़कड़ाती धूप में वृद्धों और बीमारों को खड़े रहना मुश्किल होगा, जबकि इमामबाड़ा परिसर इस दृष्टिकोण से आदर्श है।
वहीं दूसरी ओर आयोजन के लिए हुसैनाबाद का मदरसा ख़ैरुल इस्लाम भी उपयुक्त स्थान हो सकता है क्यों कि वहीं पास नज़दीक में एक मस्जिद भी है ।
वर्तमान स्थल की अव्यवस्था पर चिंता
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वर्तमान स्तिथि |
उन्होंने यह भी बताया कि मस्जिदों में ऐलान किया गया कि विरोध मार्च इमली के पेड़ के नीचे से शुरू होगा। लेकिन यह स्थान वर्तमान में न तो साफ है, न ही वहां पर्याप्त सुविधाएं हैं। जगह पर कचरे का ढेर है, और लोगों के खड़े होने या बैठने की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में बाहर से आने वाले अतिथियों को असुविधा और अपमान का सामना करना पड़ सकता है, यही नहीं कुछ लोग मेरी छवि को धूमिल करने हेतु ऐसा कर रहे , तथाकथित तौर पर वैसे लोग खुद को सस्ती वाहवाही लूटना चाहते हैं ।
आयोजकों की भूमिका पर भी सवाल
शेख मुजाहिद ने यह गंभीर आरोप भी लगाया कि "इस आयोजन के पीछे जो लोग खुद को सरपरस्त बता रहे हैं, उनमें से कुछ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि इस संवेदनशील आयोजन की अगुवाई करने का जिम्मा उन्हें किसने दिया?" कुछ लोग सरकारी शिक्षक भी है, वो बच्चों को पढ़ाने जायेंगे कि इवेंट की सरपरस्ती करेंगे?।
उन्होंने कहा कि कुछ अखबारों में एक खास रणनीति के तहत इस आयोजन को मजाक में तब्दील करने की कोशिश की जा रही है, जिससे भोली-भाली जनता गुमराह हो रही है।
प्रशासन से स्पष्टता की मांग
उन्होंने प्रशासन से मांग की कि यह सार्वजनिक किया जाए कि मस्जिदों में जो ऐलान कराया गया है, उसकी जिम्मेदारी किसने ली? आयोजक कौन हैं? और कौन इस आयोजन की अध्यक्षता कर रहा है? ताकि अगर इस कार्यक्रम के दौरान कोई अव्यवस्था या कानून-व्यवस्था की समस्या उत्पन्न होती है, तो जिम्मेदारों की पहचान पहले से तय हो।
समाप्ति पर आग्रह
अंत में, उन्होंने आयोजकों से भी आग्रह किया कि मेरे बाप दादा की इस भूमि पर उनके जमाने में बड़े बड़े आयोजन उनकी सहमति से होते रहे हैं, इस भूमि पर झारखंड के मुख्य मंत्री हेमन्त सोरेन के पिता श्री शिबू सोरेन जी भी आए हैं, कई ऐसे इवेंट भी हुए जो सामाजिक तौर पर बड़े पैमाने पर एक होकर, विरोध प्रदर्शन का आगाज भी हुआ है, लेकिन इस बार ऐसे सामाजिक मुद्दों पर विरोध जताते समय संवाद और सहमति नहीं ली गई है ना किसी जिम्मेदार कार्यक्रम आयोजक से सूचना दी गई है। किसी भी प्रकार की जल्दबाज़ी या मनमानी न सिर्फ आयोजन को विफल कर सकती है, बल्कि समाज में बेवजह की अशांति भी फैला सकती है।
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