2024 का नोबेल रसायन विज्ञान पुरस्कार: प्रोटीन डिज़ाइन और एआई में क्रांतिकारी योगदान के लिए बेकर, हसबिस, और जम्पर को मिला सम्मानNobel Chemistry Prize 2024: Baker, Hassabis, and Jumper honored for revolutionary contributions to protein design and AI
2024 का नोबेल रसायन विज्ञान पुरस्कार: प्रोटीन डिज़ाइन और एआई में क्रांतिकारी योगदान के लिए बेकर, हसबिस, और जम्पर को मिला सम्मान
2024 नोबेल रसायन से सम्मानित जन |
स्टॉकहोम, 9 अक्टूबर 2024 – रसायन विज्ञान के क्षेत्र में इस साल का प्रतिष्ठित नोबेल पुरस्कार अमेरिकी वैज्ञानिक डेविड बेकर, ब्रिटिश एआई विशेषज्ञ डेमिस हसबिस और शोधकर्ता जॉन एम. जम्पर को प्रदान किया गया। इन वैज्ञानिकों ने प्रोटीन डिज़ाइन और संरचना भविष्यवाणी के क्षेत्र में अविश्वसनीय प्रगति की, जिसने न केवल विज्ञान की दुनिया में हलचल मचाई है, बल्कि बायोटेक्नोलॉजी और चिकित्सा के क्षेत्र में भी नई दिशाएँ खोली हैं।
David baker बेकर का कम्प्यूटेशनल प्रोटीन डिज़ाइन |
62 वर्षीय डेविड बेकर, जो वाशिंगटन विश्वविद्यालय में प्रोफेसर हैं, ने जीवन के निर्माण खंडों यानी प्रोटीन के लिए कम्प्यूटेशनल डिज़ाइन के अनूठे उपकरण विकसित किए हैं। इन उपकरणों का उपयोग करके शोधकर्ता अब नए प्रकार के प्रोटीन डिज़ाइन कर सकते हैं, जो विभिन्न बीमारियों और समस्याओं के समाधान में मददगार साबित हो रहे हैं। बेकर के इस कार्य ने ग्लोबल वार्मिंग और नई उभरती बीमारियों जैसी जटिल समस्याओं के समाधान में नया मार्ग प्रशस्त किया है।
हेसबिस |
2003 में बेकर ने जीवन के आधारभूत अमीनो एसिड का उपयोग कर एक ऐसा प्रोटीन तैयार किया, जो किसी भी प्राकृतिक प्रोटीन से अलग था। यह खोज फार्मास्यूटिकल्स, नैनोमैटेरियल्स और सूक्ष्म सेंसर के क्षेत्र में नए शोध और विकास के दरवाजे खोलने वाली साबित हुई है।
हसबिस और जम्पर की एआई क्रांति
गूगल डीपमाइंड के सीईओ, डेमिस हसबिस और उनके सहयोगी जॉन एम. जम्पर ने कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) का उपयोग करके प्रोटीन संरचनाओं की भविष्यवाणी करने के क्षेत्र में ऐतिहासिक प्रगति की है। इनके विकसित किए गए AI मॉडल, AlphaFold2, ने विज्ञान जगत को यह दिखाया कि कैसे प्रोटीन संरचनाओं की सटीक भविष्यवाणी की जा सकती है। यह मॉडल अब तक ज्ञात 200 मिलियन से अधिक प्रोटीनों की संरचना की सटीक भविष्यवाणी करने में सक्षम रहा है। इसका सीधा असर दवाओं के विकास, एंटीबायोटिक प्रतिरोध को समझने और यहां तक कि प्लास्टिक को तोड़ने वाले एंजाइमों के चित्रण पर पड़ा है।
हसबिस ने इस उपलब्धि के बाद कहा, "यह पूरी तरह अवास्तविक महसूस होता है, लेकिन मैं अपने सहयोगियों, विशेषकर जॉन जम्पर, और गूगल डीपमाइंड की पूरी टीम का आभारी हूं, जिन्होंने इसे संभव बनाया।"
विज्ञान और एआई का संगम
यह पुरस्कार इस बात का प्रतीक है कि कैसे एआई और कंप्यूटेशनल बायोलॉजी मिलकर भविष्य के विज्ञान का निर्माण कर रहे हैं। जहां एक ओर बेकर का प्रोटीन डिज़ाइन जीव विज्ञान के लिए नए रास्ते खोल रहा है, वहीं हसबिस और जम्पर का एआई मॉडल जैविक संरचनाओं को समझने और उनके उपचारात्मक उपयोग की दिशा में क्रांतिकारी साबित ह रहा है।
नोबेल समिति के अनुसार, "इनकी खोजें मानव जाति के सबसे बड़े लाभों की अनंत संभावनाओं को उजागर करती हैं, जिससे फार्मास्यूटिकल्स, जैव प्रौद्योगिकी और पर्यावरणीय समस्याओं के समाधान में अद्वितीय योगदान दिया जा सकेगा।"
भविष्य की चुनौतियाँ और संभावनाएँ
बेकर और उनके सहयोगियों ने नए प्रोटीन डिज़ाइन को उन समस्याओं के समाधान की दिशा में आगे बढ़ाया है, जिनका सामना मानवता वर्तमान में कर रही है, जैसे कि नई बीमारियों का उपचार और पर्यावरणीय बदलावों से निपटने के तरीके। वहीं, हसबिस और जम्पर की एआई तकनीक ने वैज्ञानिकों को नई दवाओं और एंजाइमों के विकास में सहायक साधनों का नया स्रोत दिया है।
यह पुरस्कार रसायन विज्ञान के क्षेत्र में एआई के बढ़ते महत्व को भी दर्शाता है, और यह संभावना जताता है कि आने वाले समय में एआई और प्रोटीन डिज़ाइन के क्षेत्र में और भी क्रांतिकारी खोजें हो सकती हैं।
उपसंहार
नोबेल पुरस्कार 2024 का यह सम्मान न केवल विज्ञान की दुनिया में एक मील का पत्थर है, बल्कि यह दर्शाता है कि कैसे एआई और कम्प्यूटेशनल तकनीकों का सही उपयोग जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव ला सकता है। इन वैज्ञानिकों की खोजें आने वाले दशकों में मानवता को और भी बड़े लाभ प्रदान करने वाली साबित होंगी।
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