काशी सोत dam डूब क्षेत्र में आने वाले सैकड़ों लोग बेघर Kashi Sot Dam Hundreds of people coming to submerged area rendered homeless
काशी सोत डैम : डूब क्षेत्र में आने वाले सैकड़ों लोग बेघर Kashi Sot Dam: Hundreds of people coming to submerged area rendered homeless
काशी सोत डैम मुहम्मद गंज पलामू |
काशी सोत डैम में निवास |
पलामू /हुसैनाबाद मोहम्मदगंज थाना अंतर्गत के काशी सोत डैम, पंचायत गौड़ाडीह ग्राम बटुउआ हाथी रस,लंकासुर के किसानों ने राज्य सरकार चंपई सोरेन से यह मांग की है। कि हम सभी का परिवार काशी सोत डैम अंतर्गत भूमि डूब क्षेत्र में आने से परेशान है।
अपनी पीड़ा बताते हुए युसूफ अंसारी ने कहा कि हम लोगों की 30 से 35 एकड़ जमीन काशी सोत डेम का बांध बंधने से डूब क्षेत्र में आ गई है। जिस वक्त डेम बांधा जा रहा था हमलोंगों ने स्थल पर आए पदाधिकारियों से मांग की थी आश्वासन भी मिला था लेकिन हमलोगों के भूमि को डूब क्षेत्र से बाहर दिखा दिया गया।
हमलोगों ने हुसैनाबाद हरिहर गंज विधान सभा के पूर्व विधायक संजय यादव से भी गुहार लगाई थी उन्होंने कहा भी था की आप लोगों के साथ न्याय होगा उस वक्त वही विधायक थे। पर उनका वादा सब झूठा वादा निकला जिसका परिणाम ये है की हम लोगों का जीना दुभर हो गया है। क्षेत्रीय प्रशासन वा पदाधिकारियों से लगातार मांग की जाती रही मगर कोई सुधि नहीं लि गई । ना ही क्षेत्रीय राजनीतिज्ञ इस मसले का कोई हल निकाल के। जिसकी वजह से हम सभी के परिवार को दो वक्त की रोटी नसीब नहीं हो रही है।
युसूफ अंसारी ने कहा कि सैकड़ों लोगों के परिवारों का भरण पोषण डैम के बांध बंधने से बंद हो गया ,हमलोग को बच्चो के भरण पोषण के लिए मजदूरी करने बाहर जाना पड़ रहा है । डेम जब नहीं बांधा गया था तो पूर्व में हम लोग अपनी जीविका के लिए खेती कर रहे थे और उससे जो उपज होती थी उससे परिवार का भरण पोषण हो जाता था।
वहीं एक और पीड़ित परिवार में लखदेव रजवार ने कहा कि काशी सोत डेम बंधने से डूब क्षेत्र से बाहर रहने वाले कुछ ही किसानों स्थानिय स्तर पर लाभ मिल पा रहा। मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं। इस डेम के बांध बंधने के बाद कई परिवारों के लोग इसकी कोख में समा गए कई परिवार के बड़ों के इलावा कई बच्चे डूब गए कई सैकड़ों परिवार को दो वक्त की रोटी नसीब नहीं हो रही ।
किसानों का क्या है कहना?
वही चंद्रमा चौहान के द्वारा कहा जाता है कि काशी सोत डेम में मेरे साथ-साथ मेरे जैसे कई अन्य लोगों का भी भूमि का का बड़ा भूभाग डूब क्षेत्र में है । जिसको सरकार की ओर से कोई मुआवजा नहीं मिला है । बल्कि डेम से अवैध रूप से मछली का व्यापार करने वालों की ओर से हमलोगों को धमकी का सामना करना पड़ता है। कभी कभार डूब क्षेत्र वाले अगर मछली पकड़ने जाते है तो उन्हें स्थानीय प्रशासन डरा धमकाकर रोकती है । जबकि अवैध रूप से मछली का व्यापार दिन दहाड़े किया जा रहा, हमलोगों के पूछने पर प्रशासन कहती है की इनलोगों ने लीज कराया हुआ है, उनकी बात सुनने के बाद जब हम सूचना के अधिकार के तहत अंचल कार्यालय से इसकी जानकारी मांगी तो उनकी सूचना में कोई रिकॉर्ड नहीं मौजूद रहने की बात लिख कर दि गई । बाहर के लोग अवैध रूप में डेम से मछली मारकर लोग व्यापार कर रहे, जिसमे स्थानीय प्रशासन भी सहयोग कर रही है।
हमलीगों की मांग है की डूब क्षेत्र में आए हुए लोगों की जीविका के लिए सरकार इसे मछली पालन करने के लिए दे, ताकि मालोगों का परिवार का कल्याण हो। बाहरी लोग जो अवैध रूप से दिलीप सिंह वा अन्य लोगों की मिली भगत से ये कारोबार कर रहे उस पर रोक लग सके । आज हमलोगों का परिवार दो वक्त की रोटी को तरस रहा और दबंग लोग मछली भात खाकर खिलाकर बड़े पैमाने पर व्यापार कर रहे ।
मछली का अवैध रूप से व्यापार किए जाने की शिकायत
जिन लोगों की भूमि काशी सोत डेम के डूब क्षेत्र में आ गई है उन लोगों को रोजगार के लिए पलायन करते देखा जा रहा है झारखंड के पलामू के मुहम्मद गंज थाना क्षेत्र अंतर्गत काशी सोत डेम में मछली मारने के लिए बिहार के समस्ती पूर से मल्लाहों को बुलाकर लाया जाता है अवैध रूप से मछली का कारोबार करने वाले लोग दर्जन भर से ज्यादा लोगों को बिहार से बुलाकर पूरी व्यवस्था के साथ ये कारोबार कर रहे है , बिहार से आए हुए कई मजदूर मल्लाह ने कहा की हमलोग दीपू पर सिंह का कार्य करते है , जब उनसे पूछा गया के कितनी दहाड़ी मिलती है तो जवाब में सुनने को मिला की ठेका लिए हुए है , जब अगला सवाल पूछा गया की कितनी मछली रोज निकाल ते है तो जवाब में कहा गया की 70 से 80 किलो निकालते है ।
तीसरा सवाल ये पूछा गया की कितने लोग आप के साथ मछली डेम से निकालने का काम रोज करते है? तो अनलोगो ने कहा की 13 लोग अभी मेरे साथ हैं ।
वहीं स्थल पर एक मौजूद महिला ने बताया की जब ये लोग पिकप से भर भर के मछलियों को बेचते है। आगे वृद्ध महिला ने कहा कि 13 लोग जब रोज मछली मारने में विशाल जाल से लगे है तो सिर्फ दो ही मन मछली मारेंगे।
वही तफसीर खान ने बताया कि काशी सोत डेम में मछली मारने वालों की संख्या दर्जनों में है लोग अवैध रूप से काशी सोत डेम में मछली पालन कर उसे तैयार कर इसका व्यवसाय कर रहे हैं और हम लोगों का जो हक है उससे हम लोग वंचित है वहीं अरविंद पाल ने बताया कि हम लोग स्थानीय थाना में प्रशासनिक तौर पर मदद लेने जाते हैं तो वहां से भी कोई मदद नहीं मिलती है और प्रशासनिक तौर पर कहा जाता है कि इन लोगों ने लीज कराया है इसलिए यह लोग यह व्यापार कर रहे हैं। पर कोई कागजात नहीं दिखाया जाता है। जबकि जमीन का बड़ा भूभाग हम लोगों का डूब क्षेत्र में आता है। और हम ही लोगों को इससे कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है ।
सरकार हम लोगों के डूब क्षेत्र में आई हुई भूमि का मुआवजा देते हुए एक ऐसा प्रबंध भी करें जिससे हम लोग काशी सोत डेम में अपना मछली पालन करके अपनी जीविका चला सकें, और अपने बच्चों का भरण पोषण कर सकें। जिन लोगों का डूब क्षेत्र में भूमि आई है अधिकारी आकर इसे देखें कई घर पानी की वजह से छतिग्रस्त हो गया लोग झोंपड़ी लगाकर अपना गुजर बसर कर रहे । आज भी कई पीने का पानी के लिए कुआं मौजूद है।
कुआ का दृश्य काशी सोत डेम में सरकार से लोगों की मांग? |
हम लोगों के साथ यह जो व्यवहार किया जा रहा है क्षेत्रीय प्रशासन कर रही है और ब्लॉक से भी कोई मदद नहीं मिल रही है इसलिए हम लोग वर्तमान राज्य सरकार से मांग करते हैं कि इस पर सरकार संज्ञान ले परेशान परिवारों को राहत दे और जीविका के लिए कोई एक नियम अनुसार प्रबंध करें ताकि हमारे बच्चे को दो रोटी दो टाइम की नसीब हो सके।।
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